500 से ज़्यादा तालिब-ए-इल्मों में इनआमात की तक़सीम, उलमा, सियासी और समाजी शख्सियतों की भरपूर शिरकत
भोपाल में तारीखी तालीमी और दीनदार इजलास, नन्हे बच्चों और बुज़ुर्ग ख़्वातीन की शानदार पेशकश, इल्म और तरबियत के फरोग़ की नई तहरीक
भोपाल: तालीम और तरबियत के मैदान में नुमायां खिदमात अंजाम देने वाले इस्लामिक आइडियल फाउंडेशन के ज़ेरे एहतेमाम सालाना इजलास का शानदार इनइक़ाद किया गया, जिसमें जामिया इस्लामिया रेहानतुल हुदा का बाक़ायदा इफ्तिताह अमल में आया। इस मौके पर 500 से ज़्यादा तालिब-ए-इल्मों में इनआमात और सनदें तक़सीम की गईं, जबकि मुल्क के मुमताज़ उलमा-ए-किराम, असातिज़ा, समाजी और सियासी रहनुमा, सहाफ़ी और शहर के मुअज़्ज़िज़ अफराद ने भरपूर शिरकत की।

यह इजलास कई एतबार से तारीखी रहा, जहां दीन और दुनिया की तालीम के इम्तिज़ाज पर ज़ोर दिया गया, तालीम और तरबियत के फरोग़ के अज़्म का इआदा किया गया और तालिब-ए-इल्मों की होसला अफ़ज़ाई के लिए उन्हें इनआमात से नवाज़ा गया। ढाई साल के नन्हे बच्चों से लेकर 70 साल की बुज़ुर्ग ख़्वातीन तक ने प्रोग्राम पेश किए, जिससे मज़मा मुतअस्सिर हो गया। ख़ास तौर पर नन्हे अहमद बिन फ़राज़ और मोहम्मद बिन दानिश की तिलावत-ए-क़ुरआन ने सामेईन के दिल जीत लिए और रूह-परवर माहौल पैदा कर दिया।
इजलास की अहम ख़ुसूसियत
इस इजलास का सबसे नुमायां पहलू जामिया इस्लामिया रेहानतुल हुदा का बाक़ायदा इफ्तिताह था, जो दीन और दुनिया की तालीम के इम्तिज़ाज का एक अहम मरकज़ साबित होगा। मुक़र्रिरीन ने इस मौके पर कहा कि यह जामिया जदीद दौर के तक़ाज़ों के मुताबिक़ दीन और दुनियावी उलूम का हसीन इम्तिज़ाज पेश करेगा, ताकि तालिब-ए-इल्म एक मजबूत तालीमी और अख़लाक़ी बुनियाद के साथ समाज में फ़आल किरदार अदा कर सकें।
सम्मेलन की अध्यक्षता और विशेष संबोधन
इस ऐतिहासिक सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ आलिम-ए-दीन हजरत मौलाना अहमद सईद नदवी साहब ने की। अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने इस्लामिक आइडियल फाउंडेशन की सेवाओं को अत्यधिक सराहनीय बताते हुए कहा:
“यह संस्था धर्म और आधुनिकता के समावेश के साथ जो शैक्षिक और सुधारात्मक सेवाएं प्रदान कर रही है, वह अत्यंत प्रशंसनीय हैं। विशेष रूप से मुफ्ती सैयद दानिश परवेज नदवी की अथक मेहनत, ईमानदारी और समर्पण इस आंदोलन की सफलता की गारंटी हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता में इस्लामिक आइडियल फाउंडेशन ने शिक्षा, नैतिक प्रशिक्षण और इस्लामी कार्यों में जो उल्लेखनीय मुकाम हासिल किया है, वह पूरे इस्लामी दुनिया के लिए एक मिसाल है।”
मेहमान ए ख़ुसूसी मौलाना तसव्वुर हुसैन फलाही ने कहा:
“इस्लाम और आधुनिक शिक्षा को एकजुट करके ऐसा शैक्षिक ढांचा बनाया जाना चाहिए, जहां छात्र अपनी धार्मिक पहचान को बनाए रखते हुए आधुनिक दुनिया में भी सफल हो सकें।”
इजलास में शरीक नामवर उलमा-ए-किराम
इजलास में मुल्क के मुमताज़ उलमा-ए-किराम ने शिरकत की और तालीम की अहमियत पर रोशनी डाली। इन में नुमायां शख्सियात यह थीं:
• हज़रत मौलाना अहमद सईद साहब नदवी
• हज़रत मौलाना तसव्वुर हुसैन साहब फलाही
• हज़रत मौलाना नेमत उल्लाह साहब नदवी
• मुफ्ती रईस अहमद खान क़ासमी (नायब मुफ्ती-ए-शहर भोपाल)
• मुफ्ती अली क़ादिर हुसैनी नदवी (नायब क़ाज़ी-ए-शहर भोपाल)
• क़ाज़ी ज़हीर साहब (क़ाज़ी-ए-शहर राईसेन)
• डॉ. शम्सुद्दीन नदवी
• डॉ. इरफ़ान आलम क़ासमी
• कारी शरीफ मज़ाहिरी
• मौलाना नौशाद नदवी
• मौलाना क़ाज़ी अमानुल्लाह
• कारी राशिद बेग
• मुफ्ती राशिद नदवी
• हाफिज़ अमीरुल्लाह
• मुफ्ती शफीउल्लाह
• मौलवी अकील नदवी
उलमा-ए-किराम ने अपने बयानात में कहा कि तालीम सिर्फ़ डिग्री हासिल करने का नाम नहीं, बल्कि यह इंसान की किरदार-साज़ी का अहम ज़रिया है, जो उसे दुनिया और आख़िरत दोनों में कामयाबी की राह दिखाता है।
इजलास में सियासी और समाजी रहनुमाओं की शिरकत
इजलास में कई अहम सियासी और समाजी शख्सियतों ने शिरकत की और तालीम के फरोग़ की जरूरत पर ज़ोर दिया।
रुक्न-ए-असंबली (MLA) जनाब आतिफ़ अकील ने कहा:
“तालीम ही वह बुनियाद है जो एक बेहतर समाज की तश्कील करती है। दीन और दुनियावी उलूम के इम्तिज़ाज से हम न सिर्फ़ दुनिया में कामयाब हो सकते हैं बल्कि आख़िरत में भी सरफ़राज़ हो सकते हैं।”
कांग्रेस प्रदेश के जनरल सेक्रेटरी जनाब मुनव्वर कौसर ने कहा:
“तालीम महज़ डिग्री लेने का नाम नहीं, बल्कि यह एक किरदार-साज़ी का अमल है, जो क़ौमों की तक़दीर बदल सकता है।”
कांग्रेस ज़िला कार्यवाहक अध्यक्ष जनाब आसिफ ज़की भी इजलास में मौजूद थे और उन्होंने इस्लामिक आइडियल फाउंडेशन की तालीमी खिदमात को सराहा।
इजलास में शरीक नामवर सहाफी (पत्रकार)
इजलास में नामवर सहाफ़ियों ने भी शिरकत की, जिन में अहम नाम ये थे:
• सय्यद परवेज़ खलील
• वहीद खान
• नौशाद साहब
• अनम इब्राहिम
• सलमान मियां नदीम (मशहूर उर्दू सहाफी)
इजलास में मौजूद तालीमी माहिरीन
भोपाल और दीगर शहरों के तालीमी माहिरीन भी इस इजलास में मौजूद थे, जिन में अहम नाम ये थे:
• प्रोफेसर प्रवीन खानम
• शीबा फरहा मैडम
• दीगर
इजलास के कामयाब इनइक़ाद में मुनज़्ज़मीन का अहम किरदार
यह अज़ीम-उश्शान इजलास इस्लामिक आइडियल फाउंडेशन के ज़ेरे एहतेमाम मुनअक़िद हुआ, जिसमें कई अहम शख्सियात ने मरकज़ी किरदार अदा किया। इन में शामिल हैं:
• डायरेक्टर: सय्यदा महविश परवेज़ (इस्लामिक और रिसर्च स्कॉलर)
• निगरान-ए-आला: मुफ्ती सय्यद दानिश परवेज़ नदवी
• मोहत्तमीम: कारी शाहवेज़ परवेज़ नदवी मल्टी हैंड्स टू हेल्प के चेयरमैन इंजीनियर फ़राज़ खान ने इस कामयाब इजलास के इनइक़ाद में अहम किरदार अदा किया। जबकि सलमान खान साहब और उनकी टीम ने ग़ैर-मामूली मेहनत की। तंज़ीम के रज़ाकारों में इलमा कुरैशी, हुमैरा खान, अनसारी बुशरा रहमान, फिजा खान, नाज़मा खान, ज़रीन बेगम, ज़रीन खान और दीगर ख़्वातीन ने अहम किरदार अदा किया।
मौलाना नेमत उल्लाह साहब की ज़बरदस्त निज़ामत – जलसे की रौनक़ को किया दोबाला
इस ऐतिहासिक जलसे की कामयाबी में जहां कई अहम शख्सियतों का योगदान रहा, वहीं मौलाना नेमत उल्लाह साहब की शानदार निज़ामत ने महफ़िल में चार चांद लगा दिए। उनकी अनोखी बोलने की शैली, साफ़-सुथरी भाषा, बेहतरीन जुमले और असरदार लहजे ने पूरे जलसे में जोश और रौनक बनाए रखी। उन्होंने न सिर्फ़ श्रोताओं को पूरी तरह मोहित रखा, बल्कि हर वक्ता का शानदार अंदाज़ में तआरुफ़ कराते हुए जलसे को बेहतरीन सिलसिलेवार तरीक़े से आगे बढ़ाया। उनकी प्रभावशाली निज़ामत ने पूरे माहौल को यादगार बना दिया और श्रोताओं पर गहरी छाप छोड़ी।
इजलास इस अज्म के साथ इख्तिताम पज़ीर हुआ कि इस्लामिक आइडियल फाउंडेशन अपनी तालीमी और दावती सरगर्मियों को और ज़्यादा फरोग़ देगा।