||नज़र क़ो नज़र लग गई शिफा हॉस्पिटल क़ो किसकी नज़र लग गई||

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✍🏻 मोहम्मद उवैस रहमानी
भोपाल का हयात हॉस्पिटल, एक सपना था जो जनाब गुफरान आजम मरहूम की मेहनत और vision का परिणाम था। यह अस्पताल केवल एक इमारत नहीं, बल्कि एक आशा की किरण था, जो गरीबों, यतीमों और जरूरतमंदों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए बनाया गया था। इसका उद्देश्य था कि समाज के सबसे कमजोर वर्गों को भी स्वास्थ्य सेवाएं मिलें।
शुरुआत में, हयात हॉस्पिटल ने अपने उद्घाटन के बाद से ही बड़ी उम्मीदें जगाई थीं। लेकिन समय के साथ, उस जज्बे में कमी आने लगी।जिस जज्बे से ख़ुला गया था वह नहीं दिखा धीरे धीरे हयात क़ी जिंदगी खत्म हो गई
हयात से कैसे बना शिफ़ा
हयात क़ी जिंदगी में अचानक से मोहसिन अली खान क़ी एंट्री हुई जिन्हों ने हयात क़ो जिंदा करने का अहद किया,जिंदा करने क़ी वकालत शुरू हुई,वहीं से हयात हॉस्पिटल से शिफ़ा हॉस्पिटल अमल में लाया गया
शिफ़ा हॉस्पिटल का सफ़र
बहुत ही शानदार तरिके से चलने लगा और खूबसूरत दिखने लगा इसी बिच किसी की नज़र लग गई उसके बाद कुछ वर्षों में,यह अस्पताल विभिन्न विवादों में फंसता चला गया। इसकी सफलता के पीछे काम करने वाले युवा नेता मोहसिन अली खान ने बचाने का भरपूर प्रयास किया लेक़िन नज़र इतनी गहरी लगी थी क़ी समाज क़े सभी वरिष्ट नेता गण,शहर क़े उलमा हजरात और वरिष्ट समाज सेवक नज़र गड़ा क़र देखते रहे मुंह से आवाज़ तक नहीं निकली।
शिफ़ा हॉस्पिटल ने अपनी सेवाएं विस्तार करते हुए हजारों मरीजों का इलाज किया। यह स्थान महिलाओं के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक था, जहां उनका ध्यान रखा गया। लेकिन एक सच यह भी है कि जैसे ही शिफा हॉस्पिटल ने प्रसिद्धि पाई, इसे कई राजनीतिक और सामाजिक शक्तियों का सामना करना पड़ा। इसने दिखाया कि जब कोई संस्था सफलता की ओर बढ़ती है, तो उसके रास्ते में बाधाएं खड़ी करने वाले भी तैयार होते हैं।
शिफा हॉस्पिटल के दुश्मनों की बढ़ती संख्या ने इसे संकट में डाल दिया। स्थानीय नेताओं और समाजसेवियों ने अपने स्वार्थ के कारण इस अस्पताल की गतिविधियों को बाधित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जबकि हजारों लोग यहाँ मुफ्त इलाज प्राप्त कर रहे थे,समाज के कुछ ताकतवर वर्ग ने इसे खत्म करने की कोशिश की।
यह बेहद निराशाजनक है कि एक ऐसा संस्थान, जो कि हर किसी की सेवा करता था, आज बंद है। यह हम सभी के लिए एक गंभीर चिंता का विषय होना चाहिए। जब समाज में ऐसे महत्वपूर्ण संस्थान समाप्त होते हैं, तो यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम उनकी रक्षा करें। यह जरूरी है कि हम शिफा हॉस्पिटल जैसे संस्थानों को फिर से उनकी सही स्थिति में लाने के लिए मिलकर प्रयास करें। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि स्वास्थ्य सेवा केवल एक व्यापार नहीं है, बल्कि यह एक सेवा है जो समाज के हर वर्ग को मिलनी चाहिए। अगर हम आज इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाते हैं, तो भविष्य में हम एक और महत्वपूर्ण सेवा को खो देंगे।
समाज के नेता , स्वयंसेवी संगठन और आम नागरिकों को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा। शिफा हॉस्पिटल को उसकी पहचान वापस दिलाने के लिए सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी। यह न केवल अस्पताल के लिए, बल्कि हमारे समाज के लिए भी एक बड़ी जिम्मेदारी है।
मोहम्मद उवैस रहमानी
प्रधान संपादक
9893476893