मोहम्मद उवैस रहमानी
हाल ही में स्वामी यति नरसिंगहानंद द्वारा पैगबर मोहम्मद स.अ.व. की शान में आपत्तिजनक और गलत अल्फाज़ का इस्तिमाल किया गया, जिसने देशभर में मुसलमानों में गहरी नाराजगी और आक्रोश पैदा कर दिया है। इस घटना ने न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाई है,बल्कि समाज में तनाव और विभाजन की संभावनाओं को भी बढ़ा दिया है।
पैगबर मोहम्मद स.अ.व. इस्लाम के सबसे बड़े पैगंबर हैं, और उनकी शान में अपमान केवल धार्मिक संवेदनाओं को चोट नहीं पहुँचाता,बल्कि यह एक बड़े समुदाय के लिए उनकी आस्था और पहचान का अपमान भी है। इस प्रकार के बयान, विशेष रूप से जब वे जातीय और धार्मिक विभाजन के समय में आते हैं, समाज में नफरत और हिंसा को बढ़ावा दे सकते हैं।
मुसलमान समुदाय ने इस मुद्दे पर तीव्र प्रतिक्रिया दी है। जगह-जगह प्रदर्शन और विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसमें लोग स्वामी नरसिंगहानंद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई स्थानों पर FIR भी दर्ज की गई हैं, जो इस बात का प्रमाण हैं कि यह मामला केवल व्यक्तिगत आक्रोश का विषय नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक सामाजिक और धार्मिक मुद्दा बन चुका है।
इस स्थिति में, यह आवश्यक है कि हम सभी एकजुटता और सहिष्णुता के साथ आगे बढ़ें। हमें एक-दूसरे के धर्म और आस्था का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि यही हमारी संस्कृति और समाज की पहचान है। इस प्रकार की घटनाओं का सामना करने के लिए सामूहिक प्रयास और संवाद की आवश्यकता है, ताकि हम न केवल अपने-अपने धर्मों का सम्मान करें, बल्कि एक समर्पित और शांतिपूर्ण समाज की दिशा में बढ़ें।
यह हमारे समाज की जिम्मेदारी है कि हम ऐसे बयानों के खिलाफ आवाज उठाएं और धार्मिक सहिष्णुता और मानवता की भावना को बनाए रखें। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि हमारे शब्द और कार्य किसी की आस्था को प्रभावित कर सकते हैं, और इसलिए हमें हर समय सतर्क रहना चाहिए।
मोहम्मद उवैस रहमानी
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