भोपाल में यासिर अरफात का साम्राज्य ढहा: करोड़ों के घोटाले का पर्दाफाश, मसाजिद कमेटी में सेवा से बर्खास्त

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भोपाल, विशेष संवाददाता: भोपाल की मसाजिद कमेटी में लंबे समय से सत्ता का दुरुपयोग और घोटालों का केंद्र बने यासिर अरफात का पतन आखिरकार हो गया है। मसाजिद कमेटी के अधीक्षक रहते हुए करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं का आरोप सिद्ध होने के बाद शासन ने उन्हें तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्ख़ास्त कर दिया है।

शासन द्वारा गठित विशेष जाँच कमेटी की रिपोर्ट ने इस पूरे घोटाले की परतें खोलकर रख दी हैं, जिसमें यासिर अरफात ने 1 करोड़ 49 लाख 61 हजार 830 रुपये की राशि का दुरुपयोग किया था। मसाजिदों के इमाम मोज्जिन साहेबान के नज़राने के नाम पर जारी किए गए फंड का अरफात ने निजी हितों के लिए इस्तेमाल किया, जिसके चलते मसाजिद कमेटी के कामकाज में भारी वित्तीय धांधली हुई।

जाँच रिपोर्ट का खुलासा:

शासन द्वारा गठित जाँच कमेटी ने 11 सवालों पर आधारित एक रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें यासिर अरफात के कार्यकाल के दौरान किए गए घोटालों और वित्तीय अनियमितताओं की जाँच की गई। यासिर अरफात से इन सवालों के जवाब माँगे गए थे, लेकिन वे किसी भी सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। न ही वे कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत कर सके जो उनके बचाव में मदद कर सके।

रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया कि यासिर अरफात ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सरकारी धन का मनमाना इस्तेमाल किया। मसाजिद कमेटी के इमाम मोअज़ज़िन को दिये जाने वाली तनख्वा और उनके विकास के नाम पर दिए गए फंड को निजी हितों के लिए डायवर्ट किया गया। ठेकेदारों के माध्यम से फर्जी बिल बनाकर भुगतान किया गया, और मसाजिद कमेटी और क़ज़ियत फण्ड में बड़े पैमाने पर घोटाले किए गए।
जाँच रिपोर्ट के बाद शासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए यासिर अरफात को मसाजिद कमेटी से तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। यह कदम शासन की भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस नीति का प्रतीक है, जो यह स्पष्ट करता है कि अब भ्रष्टाचार की किसी भी घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यासिर अरफात के खिलाफ अब और बड़ी कानूनी कार्रवाई की तैयारी भी शुरू कर दी गई है, और उनके द्वारा किए गए घोटालों की गहन जाँच जारी रहेगी, ताकि दोषी को सजा दिलाई जा सके।
यासिर अरफात के भ्रष्टाचार के साम्राज्य का अंत शासन की एक बड़ी जीत है, और शासन यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों।”

मसाजिद कमेटी का भविष्य और शासन की चुनौतियाँ:
भ्रष्टाचार और अनियमितताओं से जर्जर हो चुकी इस संस्था को फिर से स्थापित करना शासन के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। भोपाल की जनता अब यह उम्मीद कर रही है कि मसाजिद कमेटी को पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ चलाया जाएगा, ताकि मसाजिदों के इमाम और मोज़ज़ीन के लिए आने वाला धन सही दिशा में इस्तेमाल हो सके।

शासन इस दिशा में तेजी से कदम उठा रहा है और संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में मसाजिद कमेटी के सभी कार्यों की निगरानी और जाँच की जाएगी, ताकि भविष्य में इस तरह की धांधली से बचा जा सके।
भोपाल की जनता ने इस कदम का स्वागत किया है और इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। जनता को उम्मीद है कि मसाजिद कमेटी अब सही ढंग से काम करेगी और मसाजिद कमेटी को imam मोज़िन के विकास के लिए मिलने वाला धन सही तरीके से उपयोग किया जाएगा।

भविष्य में मसाजिद कमेटी के संचालन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना शासन की प्राथमिकताओं में रहेगा, ताकि जनता का विश्वास दोबारा कायम हो सके और मसाजिदों के इमाम और मोज़ज़ीन साहबान का विकास सुचारू रूप से हो सके।


सवाल:
हालांकि यासिर अरफात के हटने से मसाजिद कमेटी के अंदरूनी घोटालों का एक अध्याय खत्म हो गया है, लेकिन अब शासन के सामने यह चुनौती है कि वह मसाजिद कमेटी में चल रही वित्तीय गड़बड़ियों को कैसे ठीक करेगा। सातवें वेतनमान के तहत कर्मचारियों को दिए जा रहे वेतन और अवैध नियुक्तियों की अनियमितताओं की जाँच अभी तक अधूरी है, और इसे दुरुस्त करना शासन की प्राथमिकताओं में होना चाहिये।