रीवा एस पी साहब बताएं लोकल पत्रकार कौन और बाहरी पत्रकार कौन।।

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इस रीवा के दस्तूर अपने आप में निराले हैं,और अब तो इसका असर रीवा के एसपी विवेक सिंह में भी दिखने लगा है। यहां बढ़ई का काम लोहार से,और डॉक्टर का काम हज्जाम से लिये जाने की परंपरा चल पड़ी है।

सीएम साहब के रीवा दौरे के दौरान कुछ ज़मीनी,और कर्मठ पत्रकार को एसपी साहब के आदेश के बाद दुर्दुराते हुए अपमानित किया गया। उनका कहना था कि,ये लोकल पत्रकार हैं।

ये सोच या बीमारी अभी तक आपस में पत्रकारों के बीच दिखाई देती थी,अब इसमें एसपी विवेक सिंह भी शामिल हो गए। एसपी साहब को बताना चाहिए कि, लोकल और बाहरी पत्रकार की परिभाषा क्या है..?

ये जो मीडिया हाउस वाले हैं इनके प्रतिनिधि भी इन सूचनाओं के मोहताज रहते हैं क्योंकि ख़बर की तह में जाने के लिए न इनकी सामर्थ होती है न इच्छा शक्ति। देखा तो ये गया है कि,अक्सर इन पत्रकारों की ख़बरों को ये पत्रकार अपने नाम से चेंप कर अपनी छाती फुलाते फिरते हैं।

एसपी साहेब को ये भी बताना चाहिए कि,अगर कल कोई पत्रकार ये कहे कि,फलाना आरक्षक या एसआई को फलाने जगह ड्यूटी पर लगाया जाए क्योंकि उसकी पकड़ और सूचना तंत्र उस इलाके में मज़बूत है,तो ऐसे में उनकी क्या प्रतिक्रिया रहेगी.?