(वकील की सलाह पर हिन्दू माता-पिता ने बेटी की पूर्व शादी को, मात्र “विवाह-विच्छेद-विलेख” के आधार पर , विच्छेदित मानकर कर दी थी बेटी की नई शादी (3 साल बाद नए पति ने छोड़ दिया) —- चूंकि पूर्व शादी कोर्ट के आदेश से विच्छेदित नहीं हुई थी, इसलिए नई शादी शून्य — फैमिली कोर्ट बुरहानपुर ———– लेकिन फिर भी, 3 साल तक पति के रूप में साथ रहे व्यक्ति धर्मेश पाटीदार को जिंदगी पर्यंत उक्त महिला/क (छद्म नाम) को देना होगा भरण पोषण —– फैमिली कोर्ट)
बुरहानपुर — अपनी तरह के एक विलक्षण मामले में बुरहानपुर फैमिली कोर्ट (पी. अ. —- श्री सलीम खान) ने महिला के पक्ष में, महत्वपूर्ण फैसला देते हुए पति के रूप में 3 साल तक साथ रहने वाले धर्मेश पाटीदार [जिसने गणपति नाका स्थित मंदिर में भरे पूरे समाजजन के बीच समारोह पूर्वक महिला/क (छद्म नाम) को पत्नी के रूप में अपनाया था] द्वारा 3 साल बाद छोड़ दी गई महिला/क (छद्म नाम) को, जिंदगी भर तक भरण पोषण देने के आदेश (दि 15.05.2025 को पारित) विगत दि. 23.05.2025 को घोषित किए । महिला/क (छद्म नाम) की ओर से फैमिली कोर्ट में अधिवक्ता श्री मनोज कुमार अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि उक्त फैसला विधि के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और विलक्षण मामला होकर अपने आप में एक नजीर के समान फैसला है हालांकि श्री अग्रवाल ने यह भी कहा कि फैमिली कोर्ट एक “कोर्ट आफ लॉ” नहीं है, किंतु फिर भी यदि यह मामला “कोर्ट आफ लॉ” अर्थात मा. उच्च न्यायालय में जाता है तो वह महिला की ओर से इस मामले में संपूर्ण तथ्य एवं कानूनी पहलू “कोर्ट ऑफ़ लॉ” अर्थात मा. उच्च न्यायालय के समक्ष भी रखने हेतु दृढ़ संकल्पित है ।