2030 तक 3 करोड़ पेड़ लगाएगा फॉरेस्ट्स बाय हार्टफुलनेस, हर पेड़ माँ को समर्पित

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विश्व पर्यावरण दिवस पर संस्था ने किया सतत वनरोपण का संकल्प, 90% पौधों की जीवित रहने की दर का दावा

हैदराबाद | भारत में हरियाली की नई इबारत लिखने की ओर बढ़ते हुए फॉरेस्ट्स बाय हार्टफुलनेस (FBH) ने वर्ष 2030 तक 3 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य तय किया है। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर संस्था ने इस अभियान को न सिर्फ पर्यावरणीय बल्कि आध्यात्मिक मिशन बताया।

हर पौधा ‘माँ’ के नाम होगा – इसी भावना से प्रेरित यह पहल लोगों को प्रकृति से गहराई से जोड़ने की कोशिश है। संस्था के अनुसार, अब तक 12 राज्यों में 10,000 एकड़ बंजर ज़मीन को हरियाली में बदला गया है, और 30 लाख से अधिक पेड़ लगाए जा चुके हैं।

🌿 FBH का फोकस – सिर्फ वृक्षारोपण नहीं, जीवन्त जंगल बनाना

FBH केवल पेड़ लगाने तक सीमित नहीं है, बल्कि जैव विविधता को पुनर्स्थापित करना, स्थानीय ग्रामीणों को प्रशिक्षित करना और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को लौटाना इसकी असली पहचान है।

इस वर्ष FBH की योजना 650 हेक्टेयर में 3.5 लाख पेड़ लगाने की है, और हर पेड़ व्यक्तिगत श्रद्धांजलि के रूप में माँ को समर्पित होगा। अभियान की शुरुआत श्रद्धेय दाजी की माताजी ‘बा’ के नाम पर पहले पौधे के साथ होगी।

📈 ये हैं FBH की अब तक की अहम उपलब्धियाँ:

  • 30 लाख पेड़ लगाए, 90%+ सफलता दर
  • 35 झीलों का पुनरुद्धार, 77 करोड़ लीटर जल संग्रह
  • 80+ दुर्लभ प्रजातियों का संरक्षण
  • 1200 से अधिक परिपक्व पेड़ों को सुरक्षित रूप से स्थानांतरित किया गया
  • 20 नर्सरी, जिनमें 330 प्रजातियों के 60 लाख पौधे

🏞️ मप्र, गुजरात, राजस्थान जैसे राज्यों में चल रहे हैं प्रमुख प्रोजेक्ट

मध्य प्रदेश के रतलाम और मैहर, राजस्थान, गुजरात व दिल्ली-एनसीआर में FBH के कई साइट्स सक्रिय हैं। रतलाम में 105 एकड़ का नगर वन स्थानीय नागरिकों के लिए ऑक्सीजन हब बन रहा है।

गुजरात के तरंगा हिल्स में FBH की अरावली वन परियोजना जलवायु चुनौती का अभिनव जवाब बन रही है। यहाँ 6 करोड़ लीटर जल संग्रह, 1.5 लाख चंदन वृक्ष, और 625,000 पौधों का रोपण प्रस्तावित है।

विशेष बात यह है कि इस क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी 715 ‘रेन गन’ प्रणाली लागू की गई है, जो बारिश की नकल कर शुष्क ज़मीन को हरा-भरा बना रही है

🔬 आध्यात्मिकता से विज्ञान तक – एक संतुलित मॉडल

FBH पारंपरिक प्लांटेशन मॉडल से अलग ‘प्राकृतिक उत्तराधिकार’ को अपनाता है – यानी बिना ऊपरी मिट्टी हटाए जैविक तरीके से जमीन को तैयार करना। इसमें बायोचार, नीम केक, एक्टिवेटर और देशी तकनीक का इस्तेमाल होता है।

प्रत्येक साइट पर पारिस्थितिकी सर्वेक्षण, जल स्रोतों का विश्लेषण और स्थानीय प्रजातियों का संरक्षण ज़रूरी शर्त है।

🧘 आध्यात्मिक पारिस्थितिकी: ध्यान और प्रकृति का संगम

संस्था के अध्यक्ष डॉ. वी. रमाकांत (सेवानिवृत्त IFS अधिकारी) ने कहा,

दाजी ने हमें सिखाया है कि पेड़ संवेदनशील होते हैं। जब हम एक पेड़ लगाते हैं, तो हम माँ के सम्मान में एक जीवन बोते हैं।

🤝 CSR, सरकारों और युवाओं को जुड़ने का आमंत्रण

संस्था ने भारत की हरित क्रांति में सहयोग के लिए कॉर्पोरेट, स्वयंसेवी संगठनों और राज्य सरकारों से भागीदारी की अपील की है। FBH का मानना है कि हर कोई, चाहे बच्चा हो या कंपनी, इस मिशन का हिस्सा बन सकता है।


🌱 एक हरित कल की शुरुआत, एक जंगल से होती है…

फॉरेस्ट्स बाय हार्टफुलनेस सिर्फ पेड़ नहीं लगाता — यह संवेदनशील, लचीले और सतत पर्यावरणीय समुदायों की नींव रखता है। जलवायु परिवर्तन के इस दौर में यह भारत का एक नया, अनोखा और वैज्ञानिक-अध्यात्मिक मॉडल पेश कर रहा है।